समाज एवं राष्ट्र निर्माण में महिलाओं का योगदान, डाॅ0 रामजी उपाध्याय कृत‘द्वा-सुपर्णा’ के आलोक में

2019 ◽  
Vol 11 (02) ◽  
Author(s):  
प्रभा शंकर शुक्ल

डा0 रामजी उपाध्याय आधुनिक संस्कृत साहित्य के श्रेष्ठ विद्वान, नाटककार एवं उपन्यासकार हैं। ‘द्वा-सुपर्णा’उपन्यास में विद्वान् लेखक ने कृष्ण-सुदामा की लोकप्रिय कथा को वर्तमान सन्दर्भों में प्रस्तुत किया है। सुदामा इस कथा के नायक और उनकी पत्नी कौमुदी नायिका हैं। समाज एवम् देश के विकास मंे महिलाओं का योगदान सदैव से रहा है किन्तु आज के समय में इसकी प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गयी है। प्राचीनकाल में भी महिलाओं को पुरुषों के समान शिक्षा, वेदाध्ययन, शास्त्रार्थ आदि का अधिकार प्राप्त था। परिवार एवं समाज में उनका अतिशय सम्मान था। डा0 रामजी उपाध्याय ने सतत लेखन तथा अध्यापन द्वारा भारतीय संस्कृित के अतीत तपःपावन गौरव को उपायन बनाने का प्रयास किया है। कौमुदी के माध्यम से डा0 रामजी उपाध्याय ने समाज एव राष्ट्र के निर्माण मंे महिलाओं के योगदान एवं आदर्श भारतीय नारी के जीवन दर्षन को प्रकाशित किया है। कौमुदी सुशिक्षिता, जनजागरण एवं समाज-सुधार में तत्पर चिन्तनशील नारी का प्रतीक है। त्याग, करुणा, एवं प्रेम की प्रतिमूर्ति कौमुदी अपने संकल्पों एवं संस्कारों के प्रति सजग रहते हुए सामाजिक परिष्कार एवं राष्ट्र के उत्थान के लिए प्रयत्नशील है। नारी नेतृत्व में शैक्षिक उन्नयन, ग्राम सुधार एवं समाज सुधार का कार्य किया गया है। इस आख्यायिका द्वारा डा0 उपाध्याय ने तत्कालीन समाज में व्याप्त सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक एवं राष्ट्रीय जीवन की अनेक समस्याओं को उजागर कर उन्हें दूर करने के उपाय का विशद विवेचन प्रस्तुत किया है। इसमें समाज एवं राश्ट्र के निर्माण में महिलाओं के असीम योगदान तथा सामाजिक परिवर्तन, शैक्षिक उन्नयन एवं राष्ट्रीय विकास आदि में उनकी महत्ता को स्वीकार किया गया है।

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