उत्तर प्रदेश विधानसभा निर्वाचन 2012 में आधी आबादी की सांकेतिक भागीदारी

2019 ◽  
Vol 11 (02) ◽  
Author(s):  
सविता शाही

भारतीय संविधान में महिलाओं को पुरूषों के समान ही मौलिक अधिकार प्रदान किये गये है, साथ ही वर्ग, जाति, जन्म स्थान, शैक्षणिक व सम्पत्ति के आधार पर भेदभाव व सम्पत्ति के आधार पर भेदभाव के बिना सभी नागरिकों को मताधिकार तथा राजनीतिक अधिकार भी प्रदान किये गये है। पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी पाटिल, पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्द्रिरा गांधी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, सुषमा स्वराज्य, स्मृति ईरानी, पूनम महाजन, सुप्रिया फूले, उमा भारती, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की वृंदा करात, तूलमूल कांग्रेस की नेता तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जलललिता, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया, दलित अधिकारों की प्रमुख प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित तथा कई राज्यों की राज्यपाल पद पर भी महिला आसीन है लेकिन कुछेक नामों को छोड़कर भारत तथा उत्तर प्रदेश का राजनीतिक पटल आज भी महिला विहीन ही है। आज के राजनीतिक प्रधान समाज में किसी भी वर्ग का राजनीतिक प्रतिनिधित्व बहुत मायने रखता है लेकिन दुर्भाग्य से भारतीय राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। इस शोध पत्र के माध्यम से उत्तर प्रदेश के वर्ष 2012 के विधान सभा चुनाव से सम्बन्धित आकड़ों के विश्लेषण व समीक्षा के उपरान्त कई महत्वपूर्ण बिन्दु तथ्य मुद्दे तथा पहलु प्रकाश में आये है। 2012 का विधानसभा चुनाव मतदान के लिहाज से महिलाओं के लिए बेहतर रहा है प्रत्याशी के रूप चुनाव में खड़े होने के रूप में महिलाओं की संख्या की बात करते है तो महिलाओं और पुरूषों के बीच अन्तर की खाई बहुत ज्यादा चौड़ी हो जाती है राजनीतिक दल द्वारा 91.42ः पुरूष उम्मीदवारांे तथा 8.52ः महिला उम्मीदवारांे को चुनावी मैदान में उतारा गया राजनीतिक सहभागिता के अन्य स्तर विधानसभा में प्रतिनिधित्व की बात की जाय तो वर्ष 2012 के चुनाव में चुनावी वैतरणी पार कर विधान सभा की दहलीज पर पहुचने वाले पुरूषों की संख्या 368 थी जबकि महिलाओं की संख्या 35 रही। आधी आबादी और विधान सभा में भागीदारी सिर्फ 8.68 फीसदी। आधी आवादी की सांकेतिक भागीदारी के बाउजूद उत्तर प्रदेश में महिलाओं ने विभिन्न राजनीतिक उत्तरदायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए यह सिद्ध किया है कि राजनीति में महिलाओं को अधिक से अधिक अवसर मिलने पर वह अपने अनुभवों का लाभ उठाते हुए राज्य के राजनीतिक जीवन में प्रभावशाली व दमदार भूमिका का निर्वहन कर अन्य महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण व विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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